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रतनगढ - कहानी दो जहां की (भाग 22)

निहारिका को उन्हे चीखता देख बिल्कुल अच्छा नही लगा। वह उनके पास जाने के लिये मुड़ गयी। समर निहारिका के सामने आते हुए बोला


 अभी के लिये हमे यहाँ से निकलना है निहारिका। तुम बहुत बड़े खतरे मे हो। ये लोग इस दरवाजे से बाहर नही निकल सकते। लेकिन इसका मतलब ये नही है कि तुम पूरी तरह सुरक्षित हो।
 वे फिर आयेंगे अगली अमावस्या को आयेंगे। तुम जहाँ होगी वहाँ आयेंगे। चलो यहाँ" से कहते हुए उसने निहारिका को एक बार फिर खींचा।
 निहारिका इस बार बिन कुछ कहे चलने लगी। जब तक वे चले तब तक पूरे रास्ते भर निहारिका ने कुछ नही कहा।कुछ ही देर मे वे दोनो एक बार फिर पैलेस के उस हिस्से मे प्रवेश कर रहे थे जहाँ रोशनी का साम्रज्य था। सूर्य देव अपने ताप से धरती के इस हिस्से को सूना कर किसी और प्रदेश मे चले गये थे चंद्र अब आसमान मे नजर आने लगा था और निहारिका तथा समर दोनो ही वहाँ से एक बार फिर उस जगह पहुंचे जहाँ पैलेस मे डायनिंग टेबल लगी हुई थी।
समर अभी भी चिंतित था और निहारिका बस उन बंदरो की असाधारण हरकतो के बारे मे सोच रही थी। उन्होने जो किया उसे सामान्य नही कहा जा सकता था। इन सब मे वह अपने परेंट्स के बारे मे बिल्कुल भूल चुकी थी। निहारिका एक कुर्सी पर जाकर चुपचाप बैठ गयी और समर उसके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया। पैलेस के उस हिस्से मे निहारिका नही आई थी और वह इतनी परेशान थी कि उसने ध्यान तक नही दिया कि उस हॉल मे उसकी भी एक बड़ी सी तस्वीर लगी हुई है।
कुछ देर शांत रहने के बाद उसे अपने वस्त्रो मे कुछ खिंचाव का अनुभव हुआ जैसे कोई उसकी पोशाक को नीचे से पकड़ कर खींच रहा था। निहारिका ने चौंकते हुए नीचे देखा। उसके पास वही बंदर मौजूद था जिन्होने उनकी मदद की थी अभी कुछ देर पहले।
वह उठ खड़ी हुई। तो वह उसके लिबास को छोड़कर आगे बढने लगा। निहारिका ये सोच कर उसके पीछे चल दी शायद वह इस बार भी उसकी मदद ही करना चाहता है। निहारिका वहाँ से आगे बढ गयी। समर ने जब वह दृश्य देखा तब वह भी उसके पीछे पीछे आने लगा। वह बंदर कुछ गलियारे से मुड़ा और एक ऐसे कमरे मे पहुंचा जहाँ थोड़ा सा केवल धुंधलापन था। उसे बेहद अजीब लगा ये कि पैलेस के केवल उस कमरे मे धुंधला पन है और बाकि कमरे रोशनी से भरे हुए हैं। समर भी आश्चर्य चकित होते हुए बोला – ये मेरे किये हैरानी भरी बात है मै इतने सालो से इस महल मे हूं लेकिन आज तक मैंने ये कमरा नही देखा।
निहारिका ने कुछ नही कहा और वह लगातार आगे बढती रही। निहारिका को लेकर वह एक बड़े से चमकीले दरवाजे के पास पहुचा। उस दरवाजे के पास पहुंचते ही निहारिका को ऐसा महसूस हुआ जैसे वहाँ कोई सकारात्मक शक्ति है। वह बंदर वहाँ आकर रूक जाता है और अपना सर और पूछ जोर जोर से पटकने लगता है। उन्हे देख कर निहारिका उस दरवाजे के पास पहुंचती है। वह देखती है उस दरवाजे पर की गयी नक्काशी मे कुछ चित्र ऐसे बने हुए हैं जिन्हे वह पहचानती हैं। एक किताब, राजसी मोहर और एक लड़्की जिसके साथ ही उन अजीब से जानवरो की आकृति भी। उसे देखकर निहारिका को पूरा यकीन हो जाता है समर जो कह रहा है वह बिल्कुल सच है। निहारिका उस लड़की वाली जगह पर अपना हाथ रखती है। लेकिन दरवाजा नही खुलता है बल्कि उसकी जगह वह उसे एक की होल नजर आने लगता है। वह बंदर अब वहाँ से महल के गुप्त मार्ग की तरफ जाता है। निहारिका उस रस्ते को पहचानते हुए कहती है ये वही रास्ता है जहाँ से वह युवक भागा था। कुंवर वीर जीत सिन्ह। जिनकी तसवीर हमने इतिहास की किताबो मे देखी थी। बंदर के इशारा करने पर समर उस दीवार को हिलाता है तो वह चर्र की आवाज करते हुए खुलता है। बंदर तेजी से उसके अंदर निकल जाता है। निहारिका उसके पीछे पीछे चलने लगती है।
वो एक गुफा थी जिसके अंदर क्या था कुछ समझ नही आ रहा था। लेकिन उससे सट कर आवाजे कई सारी आ रही थीं। निहारिका उन्हे अच्छे से सुन पा रही थी। वहीं उसके पीछे आ रहे समर को अब उन आवाजो से कोई तकलीफ नही हो रही थी सिवाय इसके कि उसकी आंखे चमकने लगी।
 चलते हुए निहारिका बोली – इन आवाजो को सुन कर हमे लग रहा है हम उस जगह है जहाँ गढ वाले महाराज का पावन पीठ है।
हां, समर ने संक्षिप्त मे कहा।
निहारिका ने पीछे मुड़ कर देखा, वह बहुत धीरे धीरे चल रहा था। और उसकी आंखे सुनहरी चमक रही थी। तुम्हे क्या हुआ समर ... तुम ठीक हो? निहारिका ने पूछा। 
हां, वह चुप हो गया।
निहारिका उसके आगे आते हुए बोली – कहीं आपको इस बात का तो बुरा नही लग रहा है हम रतनगढ पैलेस के कुंवर को सम्मान से नही बुला रहे हैं? 
समर रूकते हुए बोला – बिल्कुल नहीं, मुझे इससे कोई परेशानी नही है।
तो फिर क्या बात है? –तुम इतने शांत कैसे हो? 
शांत नही बस ये सोच रहा हूं, एक बार फिर उस जगह पहुंच रहा हूं जहाँ से सारा फसाद शुरू हुआ था। वे लोग चुप नही बैठेंगे। भले ही वे लोग कहीं और कुछ न कर पाये किंतु उस जगह जाने से उन्हे कोई नही रोक सकता जहाँ से सारी कहानी शुरू हुई हो – समर चुप हो गया।
कोई बात नही समर, जब इतनी सम्स्याओ का सामना किया है तो उसका भी कर लेंगे तुम परेशान मत हो। निहारिका ने समर की चिंता को कम करने की कोशिश की। इसी बीच बंदर के एक बार फिर चिंचियाने पर वह सामने देख कर आगे बढने लगी।
तुम तब तक हमे हमारे सवालो के जवाब दे दो। हमारे पास वैसे भी बहुत से सवाल है जिनके जवाब नही हैं।
निहारिका को सुन कर समर बोला – मै जानता हूं, लेकिन कुछ के जवाब मै दे सकता हूं।
रतनगढ के बारे मे तुम बहुत कुछ जान चुकी हो निहारिका। लेकिन तुम बस अर्धमानव के बारे मे नही जानती हो। उनकी मुक्ति का मार्ग तुम्हे उसी किताब मे मिलेगा।
ठीक है लेकिन हमे यह जानना था तुम्हे हमारा नाम कैसे पता चला? और तुम्हे हमारी बहनो के बारे मे पता है या नही? और वह औरत भी हमसे इतनी अच्छी तरह से पेश आ रही थी जैसे वह हमे काफी गहराई से जानती हो? इसके अलावा हमे यह भी जानना था तुम अर्ध मानव हो फिर अंधरो से बाहर कैसे हो? जबकि अभी अभी तुमने हमे बताया था कि वे सभी अब बाहर केवल अगली अमावस्या को ही आयेंगे। फिर तुमने यह भी कहा कि वे वहाँ आने से नही चूकेंगे जहाँ ये हमे लेकर जा रहा है क्यूं? और फिर,,,, निहारिका एक के बाद एक सवाल करती जा रही थी जिसे सुन कर समर उसका मुन्ह बंद करते हुए बोला – रुको तो पहले एक के बाद एक इतने सारे सवाल? कितने सवाल भरे पड़े है तुम्हारे दिमाग में।
निहारिका झेंप गयी। वह अब चुपचाप चलने लगी। समर अपना हाथ हटाते हुए बोला – अब सारे सवालो का जवाब तुम्हे वही देंगे, मै कुछ नही कहूंगा।
ठीक है निहारिका ने भारी पन से कहा और अगले ही कुछ ही पलो मे वह उस जगह थे जहाँ वह हादसा हुआ था। निहारिका चौंकते हुए बोली – हम यहाँ कैसे आये? एक के बाद एक निहारिका के साथ ऐसे हादसे हो रहे थे जो वो चाह कर भी समझ नही पा रही थी कौन सा सिरा पकड़ कर सुलझाये। 
बंदर उछलते हुए वहाँ से आगे बढा। निहारिका बोली – लगता है, यह हमे अभी कहीं और भी ले जाना चाहता है लेकिन कहां? 
चल कर देखते है समर ने कहा और वे वहाँ से आगे बढ गये। बंदर अब उन्हे मोड़दार रस्ते से घुमाते हुए गुफा के अंदरूनी हिस्से मे ले गया जहाँ महा पंडित जी साधनारत थे। वह वहाँ जाकर रूक जाता है। उसे रूका हुआ देख कर निहारिका समर से कहती है ये हमारी काफी देर से मदद कर रहा है और अब ये यहाँ रूक गया। हमे लगता है यहाँ जरूर कुछ ऐसा है जो हमारी नजरो से ओझल है।

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2 Comments

Shnaya

03-Apr-2022 02:22 PM

Nice one 👌

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Dr. Arpita Agrawal

13-Mar-2022 04:13 PM

बेहतरीन 👌👌

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